What is Hemoglobin test in Hindi: हीमोग्लोबिन टेस्ट क्या है संपूर्ण जानकारी
What is Hemoglobin test in Hindi: हीमोग्लोबिन टेस्ट एक सामान्य खून की जांच है, जो आपके शरीर में हीमोग्लोबिन के स्तर को मापने के लिए की जाती है। आज हम इस पोस्ट के माध्यम से जानेंगे कि हीमोग्लोबिन टेस्ट क्या है यह क्यों किया जाता है इसके कम या अधिक होने पर क्या लक्षण होते हैं इसकी नार्मल रेंज क्या होती है तो आईए जानते हैं हीमोग्लोबिन के बारे में संपूर्ण जानकारी विस्तार से –
हीमोग्लोबिन एक प्रोटीन है जो खून के लाल कणों में पाया जाता है और शरीर के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है। इस टेस्ट की मदद से डॉक्टर यह पता लगाते हैं कि आपके शरीर में खून की कमी (एनीमिया) है या नहीं। अगर आपको कमजोरी, थकान, या सांस लेने में तकलीफ हो रही है, तो डॉक्टर अक्सर यह टेस्ट करने की सलाह देते हैं।
Contents
- 1 हीमोग्लोबिन(HB) टेस्ट क्या है | What is Hemoglobin test in Hindi
- 2 हीमोग्लोबिन(HB) का फुल फॉर्म क्या है?
- 3 हीमोग्लोबिन(HB) टेस्ट क्यों किया जाता है?
- 4 हीमोग्लोबिन(HB) टेस्ट कैसे किया जाता है?
- 5 हीमोग्लोबिन टेस्ट विधि
- 6 HPLC विधि का उपयोग कैसे किया जाता है?
- 7 हीमोग्लोबिन(HB) कम होने के कारण और समस्या
- 8 हीमोग्लोबिन(HB) अधिक होने के कारण और समस्या
- 9 एचबी नार्मल रेंज क्या है?
- 10 निष्कर्ष
- 11 FAQ
हीमोग्लोबिन(HB) टेस्ट क्या है | What is Hemoglobin test in Hindi
एचबी टेस्ट (Hemoglobin Test) एक रक्त परीक्षण है, जिसका उपयोग रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा मापने के लिए किया जाता है। हीमोग्लोबिन एक प्रोटीन है जो खून के लाल कणों में पाया जाता है और शरीर के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है।
इस टेस्ट की मदद से डॉक्टर यह पता लगाते हैं कि आपके शरीर में खून की कमी (एनीमिया) है या नहीं। अगर आपको कमजोरी, थकान, या सांस लेने में तकलीफ हो रही है, तो डॉक्टर अक्सर यह टेस्ट करने की सलाह देते हैं। यह टेस्ट शरीर में ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता और एनीमिया जैसी समस्याओं की पहचान करने में मदद करता है।
हीमोग्लोबिन(HB) का फुल फॉर्म क्या है?
एचबी(HB) का फुल फॉर्म “Hemoglobin” है। यह एक प्रकार का प्रोटीन है, जो रक्त में ऑक्सीजन को फेफड़ों से शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचाता है।
हीमोग्लोबिन(HB) टेस्ट क्यों किया जाता है?
हीमोग्लोबिन (HB) टेस्ट मुख्य रूप से यह पता लगाने के लिए किया जाता है कि आपके खून में हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य है या नहीं। हीमोग्लोबिन एक प्रोटीन है जो लाल रक्त कणों (RBC) में पाया जाता है और शरीर के विभिन्न अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है। हीमोग्लोबिन टेस्ट निम्नलिखित बीमारियों का पता लगाने के लिए किया जाता है जो इस प्रकार हैं –
- एनीमिया का पता लगाने के लिए: अगर शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर कम है, तो यह एनीमिया का संकेत हो सकता है। एनीमिया के कारण थकान, कमजोरी, चक्कर आना, और सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
- खून की बीमारियों की जांच के लिए: यह टेस्ट खून से संबंधित बीमारियों जैसे सिकल सेल एनीमिया या थैलेसीमिया की पहचान में मदद करता है।
- स्वास्थ्य निगरानी के लिए: लंबे समय तक चलने वाली बीमारियों, जैसे कि किडनी रोग या कैंसर, के इलाज के दौरान हीमोग्लोबिन के स्तर की निगरानी की जाती है।
- सर्जरी से पहले: सर्जरी से पहले मरीज के हीमोग्लोबिन स्तर की जांच की जाती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उसका खून सामान्य स्थिति में है और सर्जरी के दौरान कोई जटिलता न हो।
- रक्तदान के लिए: रक्तदान करने से पहले यह जांच की जाती है कि व्यक्ति के खून में पर्याप्त हीमोग्लोबिन है या नहीं, ताकि वह सुरक्षित रूप से खून दे सके।
हीमोग्लोबिन(HB) टेस्ट कैसे किया जाता है?
हीमोग्लोबिन टेस्ट(Hemoglobin Test) के लिए व्यक्ति का एक रक्त का नमूना लिया जाता है जिसे प्रयोगशाला में भेज दिया जाता है वहां डॉक्टर द्वारा इसका सुरक्षित परीक्षण किया जाता है और इसका मान ज्ञात कर लिया जाता है। यह प्रक्रिया बहुत ही सुरक्षित और सरल होती है जिसमें थोड़ी सी रक्त की आवश्यकता होती है।
हीमोग्लोबिन टेस्ट विधि
हीमोग्लोबिन टेस्ट आमतौर पर दो मुख्य वीडियो द्वारा किया जाता है जो निम्न प्रकार से है
- कुल रक्त गणना (CBC): यह सबसे आम तरीका है, जिसमें व्यक्ति का एक रक्त का सिंपल लिया जाता है। खून के इस सैंपल से हीमोग्लोबिन के स्तर को मापा जाता है। इस टेस्ट में न केवल हीमोग्लोबिन, बल्कि लाल रक्त कणों की संख्या और अन्य खून से संबंधित चीज़ों की भी जांच होती है।
- हाई परफॉर्मेंस लिक्विड क्रोमैटोग्राफी (HPLC): यह एक अत्याधुनिक तकनीक है। जिसका उपयोग खून में विभिन्न प्रकार के हीमोग्लोबिन की मात्राओं और माप ज्ञात करने के लिए किया जाता है जब डॉक्टरों को हीमोग्लोबिन के विभिन्न प्रकारों (जैसे हीमोग्लोबिन A, F, S) की जांच करनी हो। यह विधि अधिक सटीक मानी जाती है और आमतौर पर जटिल मामलों में प्रयोग होती है।
दोनों ही विधियां सुरक्षित और सरल हैं, जिनसे डॉक्टरों को आपके स्वास्थ्य के बारे में सटीक जानकारी मिलती है।
HPLC विधि का उपयोग कैसे किया जाता है?
यह विधि बहुत सटीक होती है और खासकर तब इस्तेमाल होती है जब सामान्य हीमोग्लोबिन टेस्ट से कुछ असामान्य परिणाम मिलते हैं या डॉक्टरों को किसी खास प्रकार के हीमोग्लोबिन से जुड़ी बीमारी (जैसे थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया) का शक हो।
इस विधि को निम्न प्रकार से किया जाता है –
- खून का सैंपल लेना: सबसे पहले, मरीज के खून का एक सैंपल लिया जाता है, जो आमतौर पर बाजू की नस से प्राप्त किया जाता है।
- सैंपल को मशीन में डालना: इस रक्त के सैंपल को HPLC मशीन में डाला जाता है। यह मशीन खून के विभिन्न घटकों को अलग-अलग करता है।
- हीमोग्लोबिन के प्रकारों की पहचान: HPLC के दौरान, खून में मौजूद विभिन्न प्रकार के हीमोग्लोबिन को अलग-अलग किया जाता है।
यह विधि न केवल हीमोग्लोबिन A (सामान्य हीमोग्लोबिन) की मात्रा बताती है, बल्कि हीमोग्लोबिन F (फेटल हीमोग्लोबिन), S (सिकल सेल हीमोग्लोबिन), और अन्य प्रकारों की भी जांच करती है।
- रिपोर्ट: मशीन से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर, डॉक्टर द्वारा रिपोर्ट दी जाती है। इस रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर यह समझ पाते हैं कि मरीज के खून में किस प्रकार का हीमोग्लोबिन अधिक है या काम है।
HPLC के फायदे
यह विधि अत्यधिक सटीक होती है और हीमोग्लोबिन के विभिन्न प्रकारों को अलग-अलग पहचान सकती है। थैलेसीमिया और सिकल सेल एनीमिया जैसी बीमारियों की सटीक पहचान के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
HPLC विधि से डॉक्टरों को मरीज की स्वास्थ्य स्थिति का विस्तार से और सटीक जानकारी प्राप्त होती है, जिससे सही उपचार निर्धारित करने में मदद मिलती है।
हीमोग्लोबिन(HB) कम होने के कारण और समस्या
जब व्यक्ति द्वारा हीमोग्लोबिन टेस्ट कराया जाता है और रिपोर्ट में निर्धारण होता है(What is Hemoglobin test in Hindi) कि व्यक्ति का हीमोग्लोबिन स्तर नार्मल सीमा से काम आ रहा है तो स्थिति में व्यक्ति कहीं काम माना जाता है
हीमोग्लोबिन कम होने के कारण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे आयरन की कमी, बी12 और फॉलिक एसिड की कमी, किडनी या लिवर की समस्या, अत्यधिक रक्तस्राव या पुरानी बीमारियां।
हीमोग्लोबिन कम होने के कारण व्यक्ति को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जिनमें कुछ इस प्रकार हैं, थकान और कमजोरी होना, चक्कर आना, सांस लेने में तकलीफ होना, त्वचा का पिला या पीला रंग होना।
Also Read –
- ब्लीडिंग टाइम (BT) टेस्ट क्या है?
- कैल्शियम रक्त टेस्ट क्या है जाने संपूर्ण जानकारी
- टी3, टी4, टीएसएच टेस्ट क्या है? जानें सब कुछ
हीमोग्लोबिन(HB) अधिक होने के कारण और समस्या
जब किसी व्यक्ति का हीमोग्लोबिन टेस्ट किया जाता है और यह देखा जाता है कि उसे व्यक्ति का हीमोग्लोबिन स्तर समान हीमोग्लोबिन स्तर से अधिक मापा जा रहा है तो इस स्थिति में व्यक्ति का हीमोग्लोबिन बड़ा हुआ माना जाता है
हीमोग्लोबिन अधिक होने के बहुत से कारण हो सकते हैं जिन्हें कुछ इस प्रकार हैं शरीर में ऑक्सीजन की जरूरत अधिक होना, अधिक लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन होना, फेफड़े या दिल की समस्या होना।
यदि व्यक्ति का हीमोग्लोबिन बड़ा हुआ पाया जाता है तो उसे बहुत से समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जो इस प्रकार हैं खून का गाढ़ा होना, सिर दर्द होना, चक्कर आना, रक्त संचार में बाधा आना।
एचबी नार्मल रेंज क्या है?
हीमोग्लोबिन का सामान्य स्तर पुरुषों और महिलाओं में थोड़ा अलग-अलग होता है। पुरुषों में महिलाओं की तुलना में हीमोग्लोबिन का स्तर अधिक होता है यह निम्नलिखित रेंज में हो सकता है:
- पुरुषों के लिए: 12.5 से 16.5 ग्राम प्रति डेसीलीटर (g/dL)
- महिलाओं के लिए: 11.5 से 14.5 ग्राम प्रति डेसीलीटर (g/dL)
- बच्चों के लिए: उम्र के अनुसार भिन्न होता है, सामान्यतः 11 से 16 ग्राम प्रति डेसीलीटर।
निष्कर्ष
एचबी टेस्ट स्वास्थ्य की जांच के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है। इससे शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति और एनीमिया की स्थिति का पता चलता है। यदि आपके एचबी लेवल सामान्य से कम या ज्यादा होते हैं, तो आपको तुरंत चिकित्सा सलाह लेनी चाहिए।
FAQ
एचबी टेस्ट कैसे किया जाता है?
साधारण रक्त सैंपल के जरिए एचबी टेस्ट किया जाता है।
एचबी टेस्ट के लिए उपवास करना आवश्यक है?
नहीं, एचबी टेस्ट के लिए उपवास आवश्यक नहीं है।
एचबी कम होने से क्या होता है?
कम एचबी से थकान, सांस फूलना और एनीमिया की समस्या हो सकती है।
एचबी अधिक होने से क्या होता है?
अधिक एचबी से रक्त गाढ़ा हो सकता है, जिससे रक्त संचरण में समस्याएं हो सकती हैं।
हीमोग्लोबिन की कमी के लक्षण क्या है?
हीमोग्लोबिन की कमी के लक्षण में थकान, चक्कर आना, कमजोरी होना, मस्तिष्क में ध्यान कम होना, त्वचा का पीला पादना खांसी और सांस लेने में तकलीफ होना आदि होते हैं।
One Comment